Monday, May 18, 2020

कैसे चुनें JEE और NEET की तैयारी के लिए बेस्ट कोचिंग इंस्टिट्यूट?

कैसे चुनें JEE और NEET की तैयारी के लिए बेस्ट कोचिंग इंस्टिट्यूट? जानें इस लेख में

कक्षा 10वीं की बोर्ड परीक्षा को पास करने के बाद विद्यार्थी कक्षा 11वीं में विज्ञान स्ट्रीम में मेडिकल और नॉन-मेडिकल विषय ले सकते हैं. जो विद्यार्थी मेडिकल विषय से पढ़ाई करते हैं, उनके पास डॉक्टर और डेंटिस्ट बनने का मौका होता है. दूसरी और जो विद्यार्थी नॉन-मेडिकल विषय लेते हैं, वो इंजीनियरिंग के फील्ड में अपना करियर बना सकते हैं. प्रत्येक वर्ष इंजीनियरिंग में IIT JEE और मेडिकल में NEET जैसी प्रमुख परीक्षाएँ कंडक्ट की जाती हैं.

दोनों ही परीक्षाओं में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए लाखों विद्यार्थी आपस में कड़ा मुकाबला करते हैं. कुछ विद्यार्थी कोचिंग में जाना पसंद करते हैं तो वहीँ कुछ सेल्फ-स्टडी पर फोकस करते हैं. आज हम इस विडियो में 5 ऐसे पॉइंट्स बताएँगे जिनकी मदद से  विद्यार्थी IIT JEE और NEET की तैयारी के लिए अच्छी कोचिंग का चयन कर सकते हैं.


आइये देखते हैं वो कौन से पॉइंट्स हैं  जो आपको इंजीनियरिंग या मेडिकल परीक्षा की कोचिंग जॉइन करने से पहले ध्यान में रखनी चाहिए.

1. इंस्टिट्यूट का ट्रैक रिकॉर्ड क्या हैं?

विद्यार्थियों को IIT JEE और NEET की परीक्षा की तैयारी से पहले जॉइन करने वाले इंस्टिट्यूट के ट्रैक रिकॉर्ड के बारे में पता कर लेना चाहिए. विद्यार्थी इंस्टिट्यूट का ट्रैक रिकॉर्ड जानने के लिए निम्लिखित बातों पर फोकस कर सकते हैं.

 विद्यार्थियों का फीडबैक:

विद्यार्थियों को किसी भी कोचिंग संस्थान को जॉइन करने से पहले उसके शिक्षकों, स्टडी मटेरियल, टेस्ट सीरीज आदि के बारे में वहाँ पढ़ चुके या पढ़ रहे विद्यार्थियों से फीडबैक लेना चाहिए.

 Success Percentage:

कोचिंग इंस्टीट्यूट से पढ़ चुके छात्रों का उत्तीर्ण प्रतिशत कितना है.

 Topper’s Percentage:

कोचिंग संस्थान के कितने प्रतिशत विद्यार्थियों ने IIT JEE और NEET की परीक्षा में टॉप रैंक हासिल की है.

2. टीचर कैसे हैं?

फैकेल्टी मेंबर या टीचर किसी भी संस्थान की नींव होते हैं. अनुभवी टीचर परीक्षा के पैटर्न और प्रश्नों के टाइप को अच्छी तरह समझते हैं जिससे विद्यार्थियों को परीक्षा के पैटर्न को लेकर किसी भी तरह का डाउट नहीं रहता. अनुभवी टीचर की सहायता से विद्यार्थी अपने बेसिक और एडवांस्ड कॉन्सेप्ट्स को आसानी से क्लियर कर सकते हैं.

3. कोचिंग संस्थान का fee structure क्या है?

Fee structure किसी भी संस्थान को जॉइन करने में अहम् भूमिका निभाता है. विद्यार्थियों को किसी भी कोचिंग संस्थान को जॉइन करने से पहले कोचिंग संस्थान के  fee structure के बारे में ज़रूर जान लेना चाहिए. कभी-कभी कुछ कोचिंग संस्थान विद्यार्थियों को लुभाने के लिए छात्रवृत्ति (स्कॉलरशिप) प्रदान करते हैं जिनके बारे में भी विद्यार्थियों को ज़रूर पता करना चाहिए. विद्यार्थियों को किसी भी कोचिंग संसथान की Fee structure से सम्बंधित निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना चाहिए

• अन्य कोचिंग संस्थानों की तुलना में fee कितनी  कम या ज़्यादा है.

• कभी-कभी कुछ संस्थान कोर्स फ़ीस के साथ-साथ कुछ अन्य fee जैसे टेस्ट सीरीज, किताबों का शुल्क भी लेते हैं. इसके बारे में भी विद्यार्थियों को सम्पूर्ण जानकारी ले लेनी चाहिए.

4. टेस्ट को कंडक्ट कराने का प्रोसीजर क्या है?

थ्योरी क्लासेज सिलेक्शन पाने का एक पार्ट है, किन्तु किसी भी टॉपिक को समझने के बाद उस पर बेस्ड टेस्ट बहुत ही ज़रूरी होता है. विद्यार्थियों को इंस्टिट्यूट जॉइन करने से पहले टेस्ट कंडक्ट करने से सम्बंधित निम्नलिखित बातों के बारे पूछना चाहिए.

• टेस्ट कब-कब कंडक्ट होता है?

• टोटल कितने टेस्ट होते हैं?

• टेस्ट के सेंटर्स की क्या व्यवस्था होती है (अलग अलग सेंटर्स होते हैं या केवल कोचिंग में ही टेस्ट होते हैं)

• क्या टेस्ट के समय वही वातावरण होता है जो रियल एग्जाम में होता है

• टेस्ट की रैंक कैसे मापी जाती है

• रैंक को सुधारने को लेकर मैनेजमेंट के क्या एफर्ट्स हैं

• अगर किसी विद्यार्थी के वीकली या मंथली टेस्ट में कम मार्क्स आते हैं, तो क्या उसको अलग क्लास दी जाती है या नहीं.

• टेस्ट के बाद पेपर की डिस्कशन क्लास होती है या नहीं

5. होस्टल एवं सुरक्षा व्यवस्था कैसी है?

बहुत सारे विद्यार्थियों को  अपने घर से पहली बार बाहर रहने का मौका मिलता है, तो उनके लिए रहने तथा खाने की  व्यवस्था एक बड़ा सवाल होती है. इसलिए विद्यार्थियों को होस्टल में खाने और रहने की व्यवस्था के बारे में संसथान के अन्य विद्यार्थियों से पहले ही पूछना चाहिए. साथ ही साथ विद्यार्थियों के लिए होस्टल में सुरक्षा सम्बन्धी व्यवस्था के बारे में जानना भी बहुत ही आवशयक होता है.

निष्कर्ष:

तो ये थे कुछ महत्त्वपूर्ण पॉइंट्स जो आपको IIT JEE और NEET की तैयारी के लिए एक अच्छी कोचिंग सेलेक्ट करने में सहायता करेंगे.

1. इंस्टिट्यूट का ट्रैक रिकॉर्ड क्या है?

2. टीचर कैसे हैं?

3. कोचिंग संस्थान का fee structure क्या है?

4. टेस्ट को कंडक्ट कराने का प्रोसीजर क्या है?

5. होस्टल एवं सुरक्षा व्यवस्था कैसी है?

1. Accessibility/ट्रेवलिंग टाइम बचता है:

ऑफलाइन कोचिंग में विद्यार्थियों को कोचिंग सेंटर तक जाना पड़ता है. जिससे आने-जाने में विद्यार्थियों को अधिक समय बर्बाद हो जाता है. JEE और NEET की परीक्षा की तैयारी के लिए विद्यार्थियों का एक-एक मिनट कीमती होता है. ऑनलाइन क्लासेज से विद्यार्थियों का ट्रेवलिंग टाइम बच जाता है जिसे विद्यार्थी पढ़ाई में लगा सकते हैं. विद्यार्थी ऑनलाइन क्लासेज कहीं से भी access कर सकते हैं जिसके लिए विद्यार्थियों के पास एक कंप्यूटर या लैपटॉप के साथ इन्टरनेट कनेक्शन होना चाहिए.

इंजीनियरिंग या मेडिकल की तैयारी का सही समय कक्षा 10 या कक्षा 12?

2. Comfort/क्लासेज मिस होने का चांस नहीं होता:

कभी-कभी स्वास्थ्य ख़राब होने के कारण या किसी अन्य कारण से विद्यार्थी क्लासेज लेने अपने कोचिंग सेंटर नहीं जा पाते, जिससे उनकी क्लासेज मिस हो जाती है. हम जानते हैं कि किसी भी विषय में अधिकतर टॉपिक एक-दूसरे से सम्बंधित होते हैं जिससे 1 क्लास में मिस किये हुए टॉपिक के कारण विद्यार्थियों को अगली क्लासेज के टॉपिक्स को समझने में परेशानी होती है. ऑनलाइन क्लासेज का सबसे बड़ा फायदा यह है कि  इसमें विडियो रिकॉर्ड की जाती है जिससे विद्यार्थी क्लासेज मिस होने पर रिकॉर्डिंग देख कर कोर्स के साथ फॉलो-उप कर सकते हैं.

3. क्वालिटी ऑफ़ स्टडी पर कोई असर नहीं पड़ता:

ऑनलाइन तैयारी में विद्यार्थियों की पढ़ाई की गुणवत्ता (Quality of Study) पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता. जो योग्य और अनुभवी टीचर ऑफलाइन क्लासेज में विद्यार्थियों को पढ़ाते है वहीँ टीचर ऑनलाइन क्लासेज में भी पढ़ाते हैं जिससे विद्यार्थियों को घर बैठे क्वालिटी स्टडी करने का मौका मिल जाता है.

 

4. बैच में विद्यार्थियों की संख्या का कम होना:

ऑफलाइन क्लासेज में बच्चों की संख्या 150-200 तक होती है जिससे सभी टीचर हर विद्यार्थी पर फोकस नहीं कर पाते. ऑफलाइन क्लासेज में विद्यार्थियों के साथ one-to-one interaction करना बहुत ही मुश्किल होता है. वहीँ ऑनलाइन क्लासेज में विद्यार्थियों की संख्या 20-25 तक होती है जिससे सभी विद्यार्थी आसानी से अपने doubts दूर कर पाते हैं.

5. कहीं और रहने की ज़रूरत नहीं होती:

IIT और मेडिकल की कोचिंग के लिए कोटा बहुत ही प्रसिद्ध स्थान है, लाखों विद्यार्थी प्रत्येक वर्ष वहाँ रह कर परीक्षा की तैयारी करते हैं. किसी और शहर में रहना विद्यार्थियों के लिए असुविधाजनक होता है किन्तु कोटा में ऑफलाइन कोचिंग करने के लिए विद्यार्थियों को वहाँ रहना पड़ता है. वहाँ रह कर पढ़ाई करने से विद्यार्थियों पर अच्छा प्रदर्शन करने का और अधिक दबाव होता है.

6. Self-Paced Learning:

ऑनलाइन क्लासेज में विद्यार्थियों को 3-4 घंटे एक-साथ बैठ कर पढ़ने की ज़रूरत नहीं होती. विद्यार्थी अपनी सुविधा अनुसार ब्रेक ले सकते हैं. हम सभी जानते हैं कि प्रत्येक विद्यार्थी को किसी भी कांसेप्ट को समझने में अलग-अलग समय लगता है. इसलिए विद्यार्थी ऑनलाइन क्लासेज में विडियो में किसी कांसेप्ट को समझ नहीं आने पर बाद में कभी भी उस विडियो को पुनः चला कर कांसेप्ट को आसानी से समझ सकते हैं.

7. Cost Effective/ कम खर्च :

ऑनलाइन क्लासेज में विद्यार्थियों को हॉस्टल, ट्रांसपोर्ट इत्यादि में पैसा नहीं लगाना पड़ता. इसलिए ऑफलाइन क्लासेज की तुलना में ऑनलाइन क्लासेज कम खर्चीली भी होती हैं. इसमें विद्यार्थियों को केवल एक कंप्यूटर और लैपटॉप के साथ इन्टरनेट की ज़रूरत होती है, जो आजकल हर घर में आसानी से मिल जाते हैं.

इंजीनियरिंग या मेडिकल: एक छात्र के लिए बेहतर करियर विकल्प क्या है?

No comments:

Post a Comment